उइस पोस्ट में हम Web hosting, इनके Types, Bandwidth, hosting सर्विसेज का चुनाव Linux vs Windows इत्यादि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
कोई भी साइट बगैर होस्टिंग सेवा के Internet पर Access नहीं कि जा सकती यानी लोग इसे इंटरनेट पर नहीं देख सकते।
मजेदार बात तो ये है कि कई होस्टिंग प्रोवाइडर्स आपको 99.90% Uptime देने का वादा करते हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये already 10 मिनट/सप्ताह डाउन रहती हैं। 🙂 (स्रोत-hostingfacts.com)
किसी भी साइट का निर्माण बहुत ही आसान है लेकिन इसका सफलतापूर्वक संचालन थोड़ा मुश्किल है। खासकर जब साइट Popular होने लगे और ट्रैफिक भी अच्छी खासी मिलने लगे।
इस दशा में अगर आपने अच्छी कंपनी का सर्विस नहीं ले रखी है तो आपकी साइट कभी भी डाउन होने लगती है। इस तरह विज़िटर्स आपसे दूर होने लगते हैं।
चलिए इस पोस्ट को अब आगे बढ़ाते हुए हम web hosting क्या है के बारे में विस्तृत जानकारी लेते हैं।
Web hosting क्या है
Contents
हमारे वेबसाइट को होस्टिंग की सेवा देने वाले होस्टिंग प्रोवाइडर कहलाते हैं। जब हमारा domain होस्टिंग से जुड़ जाता है तो वो Domain name servers की सहायता से इंटरनेट पर live हो जाता है।
इनके पास 24 घंटे इंटरनेट से जुड़े रहने वाले पावरफुल कंप्यूटर्स होते हैं जो DNS यानी Domain name services के लिए होते हैं।
इनके कंप्यूटर्स पर Stored डेटा को कभी भी इंटरनेट से एक्सेस किया जा सकता है। हालांकि डेटा एक्सेस तो अपने कंप्यूटर पर भी सम्भव है लेकिन इसमें बहुत सी मुश्किलें आती हैं। सर्वर्स बारे में हम इसी आर्टिकल के नीचे विस्तार से पढ़ेंगे।
इन्ही कंप्यूटर्स के स्टोरेज में हमे थोड़ी Storage space की आवश्यकता होती है, ताकि हमारे साइट्स के डेटा भी स्टोर होकर इंटरनेट पर live हो सकें। इसके लिए हम इन्हें पैसे देकर स्टोरेज खरीदते हैं।
Web hosting kaise kaam karta hai
इंटरनेट एक हाईवे है, जबकी होस्टिंग हाईवे के किनारे स्थित माल गोदाम।
जब भी कोई यूजर अपने ब्राउज़र में Url डालकर request भेजता है तो रिक्वेस्ट हाईवे के किनारे स्थित माल गोदाम में पहुंचती है जहां से उसकी requested फाइल्स को गोदाम से निकालकर हाईवे पर यानी इंटरनेट पर रख दी जाती है और वो यूजर तक पहुंच जाती है।
इसी गोदाम यानी वेब सर्वर पर अपनी वेबसाइट की फाइलें रखने के लिए हम होस्टिंग प्रोवाइडर को पैसे देते हैं। ताकि हमारी साइट लोग देख सकें।
यानी आपकी वेबसाइट की सारी फाइल्स आपके होस्टिंग प्रोवाइडर के सर्वर पर अपलोडेड रहती हैं। जब कोई यूजर अपने Browser में url डालकर request भेजता है तो वो रिक्वेस्ट सीधा होस्टिंग प्रोवाइडर के सर्वर तक जाती हैं।
सर्वर requested फाइल्स को अपने डेटाबेस से निकाल कर इन्टरनेट के माध्यम से यूजर को सर्व यानी उसके सामने रख देता है, और इस तरह रिक्वेस्ट पूरा होता है।
Host computer kya hai
वेब सर्वर या host computers एक विशेष कंप्यूटर्स ही हैं जो 24×7 यानी हमेशा इंटरनेट से connected रहते हैं।
इंटरनेट सबसे बड़ा WAN (Wide Area Network) है। लेकिन ये डेटा जो फ्लो करता है वो Servers के होते हैं। ये client के लिए डेटा ट्रांसफर करते हैं।
सर्वर्स के कंप्यूटर जो होते हैं वो हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर्स की तुलना में अधिक पावरफुल होते हैं।
इनमें हर Components (हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर) हमारे PC की तुलना में पावरफुल लगे होते हैं, जो Specific कार्य (network Oriented) कार्य के लिए बने होते हैं और नेटवर्क के स्रोत का इस्तेमाल करते हैं।
इनके सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम नेटवर्क से संबंधित कार्य के लिए ही डिज़ाइन किए गए होते हैं।
जबकि हमारी PC, कंप्यूटर Oriented कार्य के लिए होती हैं और काफी User friendly होती हैं।
Bandwidth aur Disk space kya hai
Bandwidth और Disk space किसी भी साइट के लिए सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर्स हैं।
जहां आपकी साइट की डेटा डिस्क स्पेस पर स्टोर होती है वहीं उस डेटा को एक साथ कितनी मात्रा में लोगों के द्वारा Access किया जा सकता है ये बैंडविड्थ पर निर्भर होता है।
डिस्क स्पेस यानी स्टोरेज जितना अधिक होगा हम उतनी अधिक डेटा (जैसे ऑडियो, वीडियो, Text इत्यादि) स्टोर कर सकते हैं।
ये मोबाइल के मेमोरी जैसा है जितनी अधिक कैपेसिटी होगी उतनी अधिक डेटा स्टोरेज की सुविधा मिलेगी।
जबकि बैंडविड्थ जितनी अधिक होगी उतने लोग एक साथ साइट पर विजिट कर सकते हैं यानी डेटा एक्सेस कर सकते हैं। क्योंकि विजिटर के रिक्वेस्ट को पूरा करने में डेटा खर्च होता है।
अगर बैंडविड्थ कम है और साइट पर ट्रैफिक बढ़ जाती है तो साइट Down (डाउन) हो जाती है। इस तरह विजिटर साइट को विजिट नहीं कर पाते।
साइट जब Normally काम कर रही होती है यानी ओपन होती हो उसे UP (अप) टाइम कहते हैं।
Web hosting kitne Type ki hoti hai
होस्टिंग प्रोवाइडर्स कई तरह की होस्टिंग सेवाएं हमें Offer करते हैं। लेकिन मुख्य रूप से ये 3 तरह की होती हैं जो निम्न हैं-
1- Shared hosting (शेयर्ड होस्टिंग)
2- VPS hosting (VPS होस्टिंग)
3- Dedicated hosting (डेडिकेटेड हो०)
Shared hosting (शेयर्ड होस्टिंग)
जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, इस होस्टिंग में इसके एक सर्वर के संसाधन यानी CPU, RAM,बैंडविड्थ इत्यादि का इस्तेमाल कई सारी वेबसाइट्स करती हैं।
इसमें लागत कम आती है इसलिए ये सस्ता होता है। इसपर ज्यादातर नई साइट्स होस्टेड होती हैं जिनपर ट्रैफिक कम आता है।
अगर किसी भी साइट पर ट्रैफिक बढ़ता है तो इसका असर सभी साइट्स पर साइट डाउन होने के रूप में सामने आता है।
Virtual Private Server ( VPS होस्टिंग )
ये होस्टिंग, शेयर्ड होस्टिंग से काफी अच्छी होती है और थोड़ी महंगी भी।
इसमें सर्वर तो एक ही होता है लेकिन उसके डिस्क का बंटवारा कर दिया जाता है।
इसमें एक Physical सर्वर कई virtual सर्वर को Run करता है।
VPS होस्टिंग में चूंकि root access की पहुंच मिलती है, इसलिए आप अपनी मर्जी का कोई भी Operating system उपयोग कर सकते हैं और अपने एप्लीकेशन Run कर सकते हैं।
जिस तरह एक कॉलोनी में 4 घर हों और 4 व्यक्तियों को एक एक घर दे दिया जाय; उसी प्रकार ये भी होता है।
इसमें हर होस्टेड साइट अपने हिस्से के संसाधन का उपयोग करती है। इस तरह एक साइट के संसाधन की कमी का असर दूसरे पे नहीं पड़ती। यानी एक साइट किसी कारणवश डाउन होती है तो दूसरी साइट पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
इसतरह Separate स्पेस का उपयोग करने के कारण दूसरे साइट की वजह से आपके साइट की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ता।
VPS होस्टिंग में आप इसके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को अपने जरूरत के हिसाब से configure कर सकते हैं। यानी इसके डिस्क स्पेस, बैंडविड्थ इत्यादि को बढ़ा-घटा सकते हैं।
Dedicated hosting (डेडिकेटेड हो०)
ये होस्टिंग काफी महंगी, Secure और बड़े से बड़े ट्रैफिक को आसानी से हैंडल कर लेने वाली होती है।
इसमें एक पूरे सर्वर का इस्तेमाल एक ही User द्वारा किया जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए काफी हाई–लेवल तकनीकि ज्ञान की आवश्यकता होती है।
इस होस्टिंग का मतलब ऐसे समझा जा सकता है की कोई व्यक्ति बंटवारे का घर छोड़कर कोठी में रहने आ गया हो जहां की कोई भी चीज उसे शेयर ना करनी पड़े और हर चीज की बेहतर सुरक्षा और सुविधा उसे उपलब्ध हो।
इसका इस्तेमाल अधिकतर बैंक, बड़े ऑनलाइन शॉप्स जैसे अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट इत्यादि करते हैं।
Cloud hosting
क्लाउड होस्टिंग पर होस्टेड साइट किसी एक सर्वर पर होस्ट न होकर अनेक सर्वर्स पर होस्टेड होती है। इसकी खासियत ये है कि सभी सर्वर्स मिलकर ऐसे कार्य करते हैं जैसे एक ही सर्वर यानी एकल सर्वर हो। इसे वर्चुअल सर्वर भी कहते हैं।
इस तरह से ये आसानी से बड़ी ट्रैफिक को भी हैंडल कर सकते हैं। ये फिजिकल सर्वर की तुलना में अधिक सिक्योर व फ़ास्ट होते हैं।
यदि किसी एक सर्वर पर कोई गड़बड़ी होती है तो आपकी साइट बिना डाउन हुए दूसरे सर्वर के द्वारा Accessible होती है।
इसमें सुरक्षा और स्पीड भी काफी अच्छी मिलती है। इसमे आप अपनी जरूरत के मुताबिक CPU, RAM इत्यादि Increase कर सकते हैं लेकिन उसके लिए चार्ज देना होता है।
कुल मिलाकर Cloud होस्टिंग एक बेहतर तकनीक है जो साइट को हाई ट्रैफिक हैंडल करना और No downtime का शर्त पूरा करता है। हालांकि हर वेब होस्टिंग प्रोवाइडर की अपनी अपनी शर्तें हैं।
Linux vs Windows
Hosting खरीदते समय आपको 2 तरह के अलग अलग ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित वेबसाइट hostings के नाम आते हैं-
1- Linux hosting
2- Windows hosting
इन दोनों में से सबसे पॉपुलर है Linux web hosting. ये कम कीमत और बेहतर flexibility के साथ customizable और ओपन सोर्स होने की वजह से होस्टिंग बिज़नेस में सबसे लोकप्रिय है।
जबकि विंडोज में आपको लाइसेंस या हर सॉफ्टवेयर के लिए पैसे देने पड़ते हैं और ये महंगा है।
अभी हाल ही में Ubuntu 17.10 नया ऑपरेटिंग सिस्टम आया है, जो linux का ही फैमिली है।
ये यूनिक्स स्टैण्डर्ड पर आधारित एक open source सॉफ्टवेयर है। यानी इसके source code को आप कस्टमाइज कर सकते हैं। इसमें php और mysql का स्क्रिप्ट प्रयोग होता है जो ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर हैं।
जबकि विंडोज के सोर्स कोड को आप कस्टमाइज नहीं कर सकते।
WordPress में भी php और mysql का उपयोग होता है और वर्डप्रेस भी ओपन सोर्स प्लेटफार्म है।
जबकि विंडोज में ASP.NET, MSSQL के स्क्रिप्ट का इस्तेमाल होता है।
Linux में आपको बेहतर और फ्री सॉफ्टवेयर भी मिलते हैं और ये विंडोज से ज्यादा Secure भी है।
Hosting kahaa se khariden
अगर आप होस्टिंग खरीदना चाहते हैं तो सबसे पहले किसी पॉपुलर कंपनी का चुनाव करें जैसे-
Hostgator
Siteground
Bluehost
Godaddy
फिर उसके बाद उनके आफर की तुलना करें और charges की भी। इसके बाद उनके द्वारा दिए जा रहे Disk space व बैंडविड्थ की तुलना करें।
इसके बाद ये देखें कि उनका अपटाइम कितना है जो 99.99% या 100% होना चाहिए। इसके बाद Latency देखें। Latency वो टाइम होता है जो एक नेटवर्क रिक्वेस्ट का response देने में लगाता है।
ये ms यानी मिली सेकंड में मापा जाता है।
इसके बाद बेहतर Customer support किस कंपनी का है ये भी देख लें।
अगर आप अपनी साइट को इंडियन ऑडियंस को ध्यान में रखकर develop कर रहे हैं तो वो कंपनी बेहतर होगी जिसका सर्वर इंडिया में हो।
अगर global audience को टारगेट कर रहे हैं तो फिर कोई भी ग्लोबल कम्पनी का चुनाव करें जिसके सर्वर का performance सभी जगह बेहतर हो।
वेब होस्टिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए इसे विकिपीडिया पर भी अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं।
इन्हें भी देखें
◆ Best वर्डप्रेस प्लगिन्स की जानकारी
◆ Keywords everywhere के एक्सटेंशन को एंड्राइड में कैसे इनस्टॉल करें, यहां क्लीक करें
◆ ब्रॉडबैंड internet क्या है कैसे काम करता है
◆ शेयर मार्केट क्या है – पूरी जानकारी जानकारी
◆ How to use a custom domain on blogger in hindi हिंदी में सीखें
◆ How to make a website in hindi a step by step hindi guide
◆ सरदार वल्लभभाई पटेल Biography व Statue of Unity
◆ बैंडविड्थ (Bandwidth) क्या है
◆ Top 5 Open source free एंटीवायरस PCs के लिए
◆ What is computer in hindi अंग, कार्य व इतिहास
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Thanks for sharing Article. Please Click Stock Option
Aapne is article me bahut achchi jankari di hai…
Harek bat ko achche se samjhaya hai…
Mera bhi ek blog http://www.finoin.com hai…
jisme share market aur mutual funds ki jankari diya jata hai…
Please aap ek backlink de dijiye…
Thanks…
This is nice article to Get A best hosting
Thanks for giving this article.Very informative information.
I loved reading it and surely recommend it to others.
Thank You Sir
Sir Mera bhi hindi me blog hai . Me bhi technology ke bare me post upload karta hu . Sir kya me apki website par apni guest post likh sakta hu . Aage haa to reply me
amansaharan019@gmail.com
Aman bhai humne aapko jawaab bhej diya hai. Nirdeshon ko padh lene ke baad, agar aap chahen to Guest post kar sakte hain. Thanks.
Nice Artcle I like Such As Article Thank You Bhai <...