इस पोस्ट में हम Operating System क्या है, ये कैसे काम करता है कितने Types के होते हैं इत्यादि सभी टॉपिक्स के बारे में हम Detail में जानेंगे।
1940 के दशक में जब पहला कंप्यूटर सिस्टम बना था तो बिना OS यानी बिना Operating system के बना था। जिसपर रिजल्ट्स के आउटपुट को मैन्युअली पाने में बहुत अधिक समय लगता था।
OS किसी भी कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है। जिसके माध्यम से हम अपने सिस्टम से अपने रिजल्ट्स के आउटपुट्स बेहद ही Easy way में ले पाते हैं।
बदलते वक्त और Demand के साथ साथ कई तरह के बदलाव किए गए। फलस्वरूप 1955 व 1965 के दशक में GMOS नाम का सिस्टम आया जिसे General motors ने तैयार किया था। वो ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ आया।
यहीं से शुरू हुआ ये OS का सफर और आज हम एडवांस्ड रूप से विकसित OS का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये अब कई तरह के Develop किए जा चुके हैं। तो चलिए लेख को आगे बढ़ाते हुए हम आज के OS के बारे में विस्तार से जानें।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है (What is an Operating system in hindi)
Contents
Operating System यूजर व कंप्यूटर के बीच माध्यम का कार्य करता है।
OS (Operating system) एक सिस्टम software होता है। जो User व system के बीच Interface प्रोवाइड कराता है।
ये कंप्यूटर के सभी Resources को बेहतर ढंग और easy way में User को Provide कराता है।
ये किसी भी सिस्टम का मुख्य सॉफ्टवेयर होता है। ये सिस्टम के Main Memory यानी RAM (Random Access Memory) में Installed होता है।
कंप्यूटर से जुड़े सभी Devices को OS ही Manage करता है। ये हमारी भाषा को कंप्यूटर के समझने लायक बनाता है और कंप्यूटर की भाषा को हमारे समझने लायक बनाता है।
जब भी हम कंप्यूटर पर कोई भी Instruction अपने हार्डवेयर को देते हैं जैसे किसी पेज को Print करना हो, तो वो बस एक या दो क्लिक में OS के द्वारा हो जाता है। लेकिन अगर OS न हो तो हमे प्रिंटर को प्रिंट करने के Instruction देने के लिए Code को लिखना पड़ेगा।
कुल मिलाकर OS का काम हमारे द्वारा सिस्टम पर किए जाने वाले सभी Activities को एकदम आसान बनाना है।
How OS works in hindi
जब भी कंप्यूटर सबसे पहले Switch On होता है तो सबसे पहले BIOS (Basic input/output system) काम करना शुरू करता है।
BIOS के पास Permissions की लिस्ट होती है जो क्रमानुसार एक एक करके सभी मुख्य स्रोत जैसे हार्ड डिस्क इत्यादि को बारी बारी से चेक करता है। इस Process को Boot priority कहते हैं।
इस क्रम में वो एक Test run चलाता है कि सभी hardwares ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं। फिर ये भी चेक करता है कि कोई नया हार्डवेयर जुड़ा हुआ है या नहीं। फिर वो OS को स्टार्ट करने के लिए आगे बढ़ता है।
इसी क्रम में उसे bootloader मिल जाता है। अब इसे वो मेमोरी के निश्चित स्थान में इसे Load कर अपना काम खत्म करता है।
अब bootloader सिस्टम में मौजूद Operating System को ढूंढकर उसे Main memory में load कर देता है। इस समय अगर और भी OS सिस्टम में हों तो वो User को उसके लिस्ट दिखाता है, की कौन सा Operating System लोड करना है।
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एक बार जब Operating System लोड हो जाता है तो वो पूरे सिस्टम पर Control स्थापित कर लेता है। हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर सभी पर। फिर यहां से वो सभी Apps, softwares को कब, कितना और कैसे हैंडल करना है कब स्टार्ट करना है, कितनी मेमोरी देनी है इत्यादि को handle करता है।
Operating System के पास कंप्यूटर से जुड़े सभी hardwares व सॉफ्टवेयर्स को कंट्रोल करने के Codes होते हैं।
जब भी User किसी एप या हार्डवेयर के लिए keyboard या Mouse से Play, Open, Delete इत्यादि किसी भी ऑप्शन पर क्लिक करता है, तो उसके background में Operating System उससे related कोड्स के माध्यम से उस एप को इंस्ट्रक्शन Follow करने का आर्डर दे देता है।
इस तरह Operating System कार्य करता है और अपने स्थान यानी Boss के लेवल को कभी दूसरे से शेयर नही करता।
Types of Operating systems
आज हमारे बीच कई तरह के Operating Systems आ गए हैं। हम यहां कुछ मुख्य Operating Systems के बारे में जानेंगे। जो आजकल सबसे अधिक Popular हैं। उसके बाद कुछ पुराने व नए Operating system के बारे में जानेंगे।
Top 4 most popular OS
● Windows
● Mac OS (Apple)
● Android
● Linux
Windows
Windows ऑपरेटिंग सिस्टम को Microsoft ने 1980 के दशक में लांच किया था। ये दुनिया का सबसे Popular OS है जो PCs या laptop पर चलता है। जो लगभग हर नए PCs में पहले से ही यानी PreInstalled आता है।
इस OS का सबसे पॉपुलर version Windows 7 था। हालांकि इस OS में भी कई तरह के केटेगरी हैं। जैसे,Home, professional, ultimate। इन सबके अलग अलग कीमत भी है।
User जब चाहें अपने कंप्यूटर के OS को Change (Upgrade) भी कर सकता है।
Mac OS (Apple)
Apple Inc. ने अपने Macintosh कंप्यूटर्स पर Run करने के लिए Mac OS का निर्माण किया।
इसकी popularity विंडोज के मुकाबले कम है। इनके कीमत चाहें devices हों या सॉफ्टवेयर्स सभी काफी महंगे आते हैं।
Android OS
एंड्राइड OS को Andy Rubin व उनके साथियों द्वारा खोज किया गया था जिसे बाद में Google ने खरीद लिया और इसे Develop किया।
Google और Open handset alliance द्वारा तैयार एंड्राइड OS दुनिया का सबसे Popular ऑपरेटिंग सिस्टम है जो मोबाइल पर सर्वाधिक Use होता है।
ये एक Open-source सॉफ्टवेर है जिसे कोई भी Develop और distribution कर सकता है।
ये Linux kernel प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर आधारित है। नीचे हम इसी के सर्वर वर्जन के बारे में जानेंगे।
Linux OS
Linus Torwalds ने 1991 में इस OS के Linux kernel का ईजाद किया था। इन्ही के नाम पर इसे Linux नाम दिया गया।
Linux OS एक Open source OS है। जिसे कोई भी Modify और Distribution कर सकता है। इसके Server वर्जन का उपयोग सबसे अधिक सर्वर्स के संचालन में किया जाता है।
Mobile OS
मोबाइल पर Run करने वाले सॉफ्टवेयर्स या Apps PCs के मुकाबले बहुत ही अलग होते हैं। इसलिए मोबाइल के अलग OS होते हैं।
मोबाइल OS के लिए सबसे पॉपुलर है गूगल का Android OS, उसके बाद Apple का iOS, उसके बाद अन्य Windows, Blackberry, Symbian इत्यादि।
Other Operating systems
Network Operating System
Network Operating System एक सॉफ्टवेयर होता है जो कई कंप्यूटर्स को आपस मे कम्यूनिकेशन की सुविधा उपलब्ध कराता है।
इसके Example हमारे सर्वर्स हैं। जो हमे होस्टिंग प्रदान किए हुए हैं और आप इस साइट को पढ़ रहे हैं।
Network OS एक तरह का कंप्यूटर operating system होता है जिसमे advanced hardwares लगे होते हैं। ये नेटवर्क के कार्यों को करने के लिए इस्तेमाल होता है। ये काम हमारे PCs भी कर सकती हैं, लेकिन इनकी परफॉरमेंस बेहतर नहीं होती।
इसका सबसे बढ़िया Example है, Linux, MS Windows NT, Sun solaris
Distributed Operating system
Distributed ऑपरेटिंग सिस्टम में कई सारे कंप्यूटर्स एक सर्वर का इस्तेमाल करते हैं। ये कंप्यूटर्स आपस में एक दूसरे से नेटवर्क (LAN,WAN) के माध्यम से Communicate करते हैं। ये एक दूसरे के Memory, RAM इत्यादि का इस्तेमाल नहीं करते।
ये Resources को share करते हैं जैसे कई सारे कंप्यूटर्स एक प्रिंटर का इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद ये अलग अलग तरह के फाइल्स को शेयर कर सकते हैं।
इसका best example हमारे द्वारा Internet का इस्तेमाल करना है। जिसमे एक कंप्यूटर या मोबाइल में कोई खराबी आ जाए तो दूसरे के सिस्टम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, उल्टे दूसरे के नेटवर्क की स्पीड में इजाफा हो जाता है।
Multiprogramming OS
Multiprogramming OS को ऐसा डिज़ाइन किया गया। कि इसमे एक साथ कई Task को load कर दिया जाता है। इसके बाद कोई भी टास्क जब CPU इस्तेमाल करता है तो अन्य Task अपनी अपनी बारी का इंतजार करते हैं।
यानी इसमें Task तो कई लोड किए जा सकते हैं, लेकिन टास्क कम्पलीट एक एक करके होता है।
Batch Operating system
इसको निम्न स्टेप्स में आसानी से समझा जा सकता है-
Batch Operating System में Jobs यानी कार्यों को करने के लिए सबसे पहले एक device जिसे Punch card कहा जाता था, उसके माध्यम से jobs को fill करके ऑपरेटर के पास Submit करना होता था।
ऑपरेटर जॉब्स की category के हिसाब से उसे छंटनी कर कंप्यूटर में अप्लाई कर देता था।
CPU कई jobs में से एक जॉब्स को परफॉर्म करने के लिए Execution शुरू करता था, और जब तक वो जॉब कम्पलीट नहीं हो जाता था तबतक दूसरा जॉब नहीं शुरू हो सकता था।
Job complete यानी Output के होने तक CPU Empty ही यानी Idle पड़ा रहता था।
Time-sharing OS
Time-sharing OS, एक particular सिस्टम को कई Users को Use करने की सुविधा देता है। इसमे सभी Users के task एक साथ चालू रहते हैं।
ये सिस्टम के Resources को कई Users के बीच Distribute कर देता है।
RealTime Operating system
इस तरह के Operating system में कोई भी टास्क एक नियत या Specified time पर Complete होता है।
ये OS वहां use किए जाते हैं जहां डेटा काफी Exact time में प्रोसेस करना होता है।
जैसे- Air traffic control सिस्टम (ATC)
यहां थोड़ी देरी भी किसी खतरे की आशंका को बढ़ा सकती है।
Functions of Operating system
किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम में OS का काम सभी Resources को manage करना होता है। इस हैडिंग में हम OS के मुख्य functioality को जानेंगे।
Resource management
ये OS का मुख्य काम होता है, की सिस्टम में मौजूद सभी Resources जैसे Printer, Mouse, hard disk, CPU इत्यादि को User के इस्तेमाल के लिए बेहतर Interface उपलब्ध कराए।
इसमे किस हार्डवेयर को कब स्टार्ट करना है, कितना टाइम देना है,कितनी मेमोरी देनी है इत्यादि ये सब Resource मैनेजमेंट के तहत आती है।
Security and Privacy
सिस्टम के OS का काम Security व Privacy को भी मैनेज करना होता है। जब कोई User सिक्योरटी फंक्शन को On करता है तो ये OS यूजर के command को याद कर लेता है। फिर समय समय पर Username, Passwords की डिमांड करता है।
Memory management
यहां Memory से मतलब RAM से है। हम जो भी कार्य real time में करते हैं वो RAM पर होता है।
हमारे Task के आधार पर OS हमे RAM प्रोवाइड कराता है। एक बार टास्क कम्पलीट हो जाता है तो वो डिफाइंड किए अनुसार या तो मिट जाता है, या स्टोरेज (हार्ड डिस्क) में स्टोर हो जाता है। फिर OS अपनी मेमोरी वापस ले लेता है।
Process management
OS का पावर उसके Processor से पता चलता है। कंप्यूटर पर User एक काम कर रहा होता है फिर उसे वहीं छोड़कर दूसरा भी शुरू कर देता है।
Background में music भी चला देता है।
इन सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलने में OS व प्रोसेसर का हाथ होता है। ये सभी एप्स और हार्डवेयर के processing को मैनेज करता है। ताकि सभी जॉब Smoothly run करें मगर कोई भी टास्क दूसरे टास्क में Interfere ना करे।
Storage management (Hard disk)
कंप्यूटर में OS हर फ़ाइल को User defind निर्देशों के आधार पर फ़ाइल को सेव या मांगने पर फ़ाइल को स्क्रीन पर शो करता है।
OS सभी को यानी इंटरनल से लेकर external सभी चीजों को मैनेज करता है। सभी टास्क OS के दिए मेमोरी व अन्य resources से चलते हैं। एक बार कार्य पूरा हो जाने पर OS सभी resources वापस ले लेता है। रिसोर्सेज को सॉफ्टवेयर के लिए Deallocate कर देता है।
इस आर्टिकल को Techopedia पर अंग्रेजी में पढ़ने के लिए साइट पर विजिट कर सकते हैं।
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